bombay high court unprecedented decision favor student
Photo: Instagram/raknoenom

बॉम्बे हाईकोर्ट ने छात्रों के हक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जहां HC ने महाराष्ट्र बोर्ड की गलतियों को सामने रखते हुए बोर्ड की व्यवस्था को बेमतलब और गलत करार दिया है।

महाराष्ट्र बोर्ड के नियम बेमतलब – कोर्ट

दरअसल मामला कुछ इस प्रकार है कि 1 छात्रों ने कहा कि उसे 12वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम से पढ़ने के लिए एक अनुमति नहीं दी जा रही है। छात्र ने हाई स्कूल में साइंस का सब्जेक्ट सिलेक्ट नहीं किया था इसी वजह से उसे आगे भी इस स्ट्रीम में पढ़ने से मना कर दिया गया। मुंबई हाई कोर्ट ने बोर्ड के इस नियम पर सवाल खड़ा किया और कहा कि इस बात का कोई भी औचित्य नहीं है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस गौतम पटेल और नीलम गोखले की खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में इस बात का संज्ञान लिया कि छात्र 8वीं या 9वीं कक्षा कक्षा के आसपास ही अपना सब्जेक्ट भी सिलेक्ट करते हैं और यह सोचना बिल्कुल भी गलत है कि 14 साल का बच्चा अपना पूरा भविष्य तय कर पाएगा।

अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि,

“हमें इस बात में कोई भी तर्क नजर नहीं आ रहा है कि दसवीं कक्षा में साइंस नहीं लेने वाले किसी भी छात्र को बाद में साइंस स्ट्रीम में एडमिशन नहीं लिया जाएगा।”

साथ ही कोर्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख भी किया और उस पर भरोसा जताते हुए कहा कि,”राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अध्ययन करने से हमारा नजरिया अधिक मजबूत हुआ है और पूरे पैटर्न को बदलने का प्रस्ताव रखा गया है। आर्ट कॉमर्स और साइंस जैसी पुरानी रस्साकशी को दूर करने की बात भी है जो कहीं से भी अयोग्य नहीं है।

छात्रों के हक में दिया कोर्ट ने फैसला

कोर्ट ने बोर्ड की पद्धति पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर बोर्ड का उद्देश्य क्या है, छात्रों की सहायता करना है या फिर उनके कैरियर में विद्यन खड़े करना है। अपना फैसला सुनाते हुए उसने महाराष्ट्र बोर्ड को छात्र की 12वीं का परिणाम भी सुपुर्द करने का फरमान जारी किया है।

आखिर क्या था मामला?

नासिक के एक छात्र ने ICSE बोर्ड से 10वीं की परीक्षा 92 फीसदी अंकों से पास की थी। उस बाद साइंस स्ट्रीम में एडमिशन लिया और 11वीं की परीक्षा मैं भी छात्रों फर्स्ट क्लास लेकर आया। उस बाद उसने महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड की 12वीं की परीक्षा भी दी थी लेकिन बोर्ड के एक आदेश के कारण उसका रिजल्ट जारी नहीं हुआ था । बोर्ड का कहना था कि छात्र ने दसवीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम नहीं लिया था इसलिए उसका एडमिशन कैंसिल किया जाता है। उस बाद छात्रा ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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