आज गूगल ओपन करते ही हमें उसके डूडल (Zarina Hashmi’s 86th Birthday Google Doodle) में आपको एक सुंदर महिला का ग्राफिक नजर आ रहा है,जो अपनी सफलताओं के लिए लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
कौन है जरीना हाशमी
इस गूगल को देखने के बाद आपको भी दिलचस्पी हुई होगी कि आखिर ये महिला (Who is Zarina Hashmi) है कौन? इस महिला का नाम जरीना हाशमी है और गूगल आज इनका 86वां जन्मदिन मना रहा है। जरीना रशीद का जन्म 16 जुलाई 1937 को ब्रिटिश भारत के अलीगढ़ ( वर्तमान उत्तर प्रदेश (UP) के अलीगढ़ में) शेख अब्दुर रशीद (जो कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में फैकल्टी थे) और फहमीदा बेगम के घर हुआ था।
ज़रीना ने 1958 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से गणित, बीएस (ऑनर्स) में डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने थाईलैंड में और पेरिस में एटेलियर 17 स्टूडियो में प्रिंटमेकिंग के विभिन्न तरीकों का अध्ययन किया। विभाजन से पहले जरीना अपने चार भाई-बहनों के साथ भारत (India) में ही रहती थी। लेकिन साल 1947 में देश के विभाजन (Partition) के बाद जरीना को अपने परिवार और लाखों अन्य लोगों के साथ नव स्थापित पाकिस्तान (Pakistan) के कराची में रहना पड़ा।
Zarina Hashmi पूरी दुनिया में आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए मशहूर थी। जरीना हाशमी 21 साल की थीं जब उन्होंने एक युवा राजनयिक से शादी की और दुनिया घूमने निकल पड़ीं। उन्होंने बैंकॉक, पेरिस और जापान जैसे देशों की यात्रा की थी, जहां उन्हें प्रिंटमेकिंग और आधुनिकतावादी और अमूर्त कला प्रवृत्तियों से अवगत कराया गया।
नारीवादी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका
1977 में वह न्यूयॉर्क शहर में रीलोकेट होते ही यह महान भारतीय महिला जरीना हाशमी फीमेल कलाकारों की एक मजबूत समर्थक बन गईं। न्यूयॉर्क में वह महिला कलाकारों के समर्थन में हेरिसीज क्लेक्टिव की मेंबर बन गई। इस नारीवादी पत्रिका ने राजनीति से लेकर कला और सामाजिक न्याय के बीच संबंधों की जांच भी की थी। समय बीतते महज कुछ ही दिनों में जरीना न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टीट्युट में प्रोफेसर बन गई और उन्होंने महिला कलाकारों को बराबर की पढ़ाई का समर्थन दिया।
AIR में किया था कार्यक्रम
1980 के जरीना (ZARINA HASHMI’S WORK) ने दशक में ऑल इंडिया रेडियो के गैलरी में एक प्रदर्शनी का सह-संचालन किया, जिसका नाम ‘डायलेक्टिक्स ऑफ आइसोलेशन: एन एक्जीबिशन ऑफ थर्ड वर्ल्ड वूमेन आर्टिस्ट्स ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स’ था । इस अभूतपूर्व प्रदर्शनी में अलग-अलग तरह के कलाकारों के काम को प्रदर्शित किया गया और साथ ही महिला कलाकारों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया था।
इंटैग्लियो प्रिंट के लिए मशहूर हुई जरीना
हाशमी (ABOUT ZARIMA HASHMI) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आकर्षक वुडकट्स और इंटैग्लियो प्रिंट के लिए मशहूर हुई, जिनमें उन घरों और शहरों की अर्ध-अमूर्त छवियां शामिल थीं, जहां वह रहती थीं। जरीना के काम में अक्सर ही उनकी मूल उर्दू में शिलालेख और इस्लामी कला से प्रेरित ज्यामितीय तत्व शामिल होते थे।
उनके (GOOGLE DOODLE TODAY) प्रारंभिक कार्यों के अमूर्त और संक्षिप्त ज्यामितीय सौंदर्यशास्त्र की तुलना सोल लेविट जैसे न्यूनतमवादियों के कार्यों से की गई है। उनके (WHO WAS ZARINA HASHMI) काम को आज भी विश्व स्तर पर सराहना मिलती है क्योंकि सैन फ्रांसिस्को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट, मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट, सोलोमन आर गुगेनहेम म्यूजियम और व्हिटनी म्यूजियम ऑफ अमेरिकन आर्ट औउ अन्य प्रतिष्ठित दीर्घाओं के स्थायी संग्रहों में भी हाशमी की कला पर विचार-विमर्श जारी रखते हैं।
ज़रीना की पहचान एक भारतीय महिला के रूप में है, जो एक मुस्लिम घराने में पैदा हुई थीं। सच तो यह है कि उन्होंने अपना बचपन यहां वहां घूमते हुए बिताया, इसके बावजूद उन्होंने अपने आप में इस कला को विकसित किया। इस्लामी धार्मिक सजावट के दृश्य तत्वों का उनका इस्तेमाल इसकी नियमित ज्यामिति के लिए खासतौर पर उल्लेखनीय था।
पुरस्कार और फ़ेलोशिप
2007: रेजीडेंसी, रिचमंड विश्वविद्यालय , रिचमंड, वर्जीनिया
2006: रेजीडेंसी, मोंटाल्वो आर्ट्स सेंटर, साराटोगा, कैलिफ़ोर्निया
2002: रेजीडेंसी, विलियम्स कॉलेज , विलियमस्टाउन, मैसाचुसेट्स
1994: रेजीडेंसी, आर्ट-ओमी, ओमी, न्यूयॉर्क
1991: रेजीडेंसी, महिला स्टूडियो कार्यशाला , रोसेंडेल, न्यूयॉर्क
1990: एडॉल्फ और एस्तेर गॉटलीब फाउंडेशन अनुदान, न्यूयॉर्क फाउंडेशन फॉर द आर्ट्स फ़ेलोशिप
1989: ग्रांड पुरस्कार, प्रिंट्स का international biennial, भोपाल, भारत
1985: न्यूयॉर्क फाउंडेशन फॉर द आर्ट्स फ़ेलोशिप, न्यूयॉर्क
1984: प्रिंटमेकिंग वर्कशॉप फ़ेलोशिप, न्यूयॉर्क
1974: जापान फाउंडेशन फ़ेलोशिप, टोक्यो
1969: प्रिंटमेकिंग के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार, भारत
25 अप्रैल, 2020 को अल्जाइमर रोग के कारण जरीना ने लंदन में आखिरी सांस ली थी।