दुनिया की दूसरा सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज FTX में संकट गहराया हुआ है। अब FTX ने खातों तक ‘गैरकानूनी पहुंच’ और फंड का अभाव के कारण निवेशकों के लिए कारोबार या निकासी का ऑप्शन बंद करते हुए दिवाला प्रक्रिया से बचने के लिए गुहार लगाई है।
इन दिनों दुनियाभर में एक्सचेंज से क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाने वाले निवेशक चिंता में हैं। जानकारों के अनुसार इन्वेस्टर्स के पास अब इंतजार करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है क्योंकि जब एक्सचेंज से निवेश निकालने की परमिशन मिलेगी तभी निवेशक कुछ कर पाएंगे।
FTX, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज है इन दिनों संकट में है और इसने डिजिटल परिसंपत्ति बाजार को एक और संकट में डाल दिया है।
शुक्रवार को दुनिया के बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज में से एक एफटीएक्स ने दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन किया था। लोग इस झटके से उबर भी नहीं पाएं थे कि ग्राहकों के 100 करोड़ डॉलर करीब 8054 करोड़ रुपये एक्सचेंज से गायब होने का खुलासा भी हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्सचेंज के संस्थापक सैम बैंकमेन (Sam Bankman-Fried) ने बिना किसी को बताए एफटीएक्स से यह रकम अपनी ट्रेडिंग कंपनी अलामेडा रिसर्च में भेज दी है।
यहां हम देखते हैं कि एफटीएक्स (What happened to FTX) को क्या हुआ है, क्यों, और व्यापक बाजार के लिए इसका क्या अर्थ है।
एफटीएक्स क्या है (What is FTX)?
आधिकारिक तौर पर बहामास में मुख्यालय, FTX का प्रबंधन अमेरिका से किया जाता है, इसके सबसे बड़े कार्यालय शिकागो और मियामी में हैं।
यह एक क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज (what is ftx crypto) है, जो लोगों को क्रिप्टो संपत्ति खरीदने और बेचने में मदद करता है। क्रिप्टोकरेंसी सभी उनकी स्टार संपत्ति, बिटकॉइन के समान मूल संरचना पर आधारित हैं। यह एक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध “ब्लॉकचैन” है जो किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण के नियंत्रण के बिना स्वामित्व को रिकॉर्ड करता है। FTX एक्सचेंज बड़ा और महत्वपूर्ण है क्योंकि, अपने प्रतिद्वंद्वी, Binance (binance ftx) के साथ, यह दुनिया भर में अधिकांश क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडों को संसाधित करता है।
FTX और Binance दोनों “अंतर्राष्ट्रीय” एक्सचेंज हैं, जो अमेरिकी सरकार के छोटे-छोटे नियमों का बारीकी से पालन करता है।
इस सप्ताह FTX (what is ftx crisis) का क्या हुआ?
अब हम जानते हैं कि आखिर क्या वजह है जो दिवालिया हो रही है FTX।
दरअसल,पिछले कुछ समय से फंड की कमी की आशंकासे ग्राहक FTX को छोड़कर जा रहे थे, जिस कारण FTX को प्रतिद्वंदी कंपनी बिनेंस (Binance) को बेचने का फैसला किया था। बिनेंस से डील रद होने के 24 घंटे के अंदर ही कंपनी ने बीते शुक्रवार को दिवालिया के आवेदन कर दिया था। इस आवेदन में सैम बैंकमैन-फ्राइड हेज फंड और अल्मेडा रिसर्च सहित कंपनी से संबंधित 130 सहायक कंपनियों का भी नाम शामिल किया गया है।
अमेरिका के अरबपतियों में गिनी जाने वाले 30 साल के क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) एक्सचेंज FTX के सीईओ सैम बैंकमैन-फ्रायड को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि एक गलती उनके जीवन में भूचाल ला देगी।
सोशल मीडिया में एसबीएफ के नाम से मशहूर सैम ने घोषणा की कि FTX बिक रहा है और उसे कंपीटीटर्स बिनांस उसे खरीद रहा है। जैसे ही सैम ने इस बात को ट्वीट किया तभी दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म बिनांस (binance ftx) के हेड चैंगपेंग झाओ ने भी इस बात की पुष्टि की थी। उन्होंने कहा कि FTX को खरीदने का अनुबंध हो चुका है और उन्होंने साइन भी कर दिए हैं। वहीं झाओ ने FTX को छोटा एक्सचेंज बता कर कहा था कि यह एक्सचेंज नकदी के संकट से जूझ रहा है।
झाओ (Changpeng Zhao) ने तब एफटीएक्स को बचाने के लिए कदम बढ़ाया, मंगलवार कोकंपनी को खरीदने के लिए सहमत हुए लेकिन फिर बुधवार को घोषणा की कि वह सौदे (what is ftx crisis) नहीं कर रहे हैं। ”
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बायनेंस ने एफटीएक्स टोकन (what is ftx token) के जमा करने पर रोक लगा दी है। बायनेंस के मुख्य कार्यकारी झाओ ने तमाम दूसरे प्रतिस्पर्धी एक्सचेंज से भी एफटीटी के जमा नहीं करने की अपील की है।
बहामास स्थित क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज एफटीएक्स ने शुक्रवार को दिवालिया घोषित करने के लिए अर्जी लगाई, जिसके बाद शनिवार को एक्सचेंज ने संदेहजनक परिस्थितियों में अनधिकृत तरीके से एक्सचेंज से करोड़ों डॉलर की संपत्तियों को दूसरे प्लेटफॉर्मों पर स्थानांतरित करने की जानकारी दी थी। झाओ ने ट्वीट किया, Binance पर एफटीटी को जमा नहीं किया जाएगा, ताकि हालात और भी जटिल न हों जाएं। फिलहाल एफटीटी (FTX token) की अतिरिक्त आपूर्ति पूरे क्रिप्टो बाजार को ही प्रभावित कर रही है।
FTX के लिए आगे क्या?
कंपनी को या तो ग्राहकों की निकासी की मांगों को पूरा करने के लिए अरबों डॉलर खोजने की जरूरत है, या उन्हें आश्वस्त करने का एक तरीका ढूंढकर पलायन को रोकना है कि उनका पैसा सुरक्षित है। यह कभी आसान नहीं होता जब इतने सारे ग्राहक दूसरा रास्ता अपनाना चाह रहे हों। ब्लूमबर्ग ने गुरुवार को बताया कि बैंकमैन-फ्राइड ने कहा था कि फर्म को सॉल्वेंट बने रहने के लिए 4 बिलियन डॉलर की जरूरत है, जिसमें फंडिंग गैप 8 बिलियन डॉलर है।
एक्सचेंज के लिए गहरे सवाल भी हैं। कंपनी द्वारा बिनेंस को बेचने के लिए सहमत होने से ठीक एक दिन पहले, बैंकमैन-फ्राइड ने ट्वीट किया कि एफटीएक्स “ठीक” था और अपने किसी भी ग्राहक की संपत्ति के साथ बिल्कुल भी व्यापार नहीं करता था। लेकिन एफटीएक्स में 150 मिलियन डॉलर लगाने वाली वीसी फर्म सिकोइया कैपिटल के निवेशकों के लिए एक संदेश में कहा गया है कि कंपनी को न केवल तरलता की कमी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि सॉल्वेंसी की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है – जिसका अर्थ है कि इसके पास वास्तव में जितना पैसा था, उससे कहीं अधिक बकाया है।
“द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया कि FTX ने अलमेडा को जुआ खेलने के लिए $10bn ग्राहक निधि का ऋण दिया था, जो कि एक्सचेंज के $16bn की संपत्ति का पर्याप्त अनुपात था।
47.7 करोड़ डॉलर की राशि गायब
अभी इस बात कोई भी सटीक जानकारी नहीं है कि FTX के खातों तक ‘illegal access’ होने से कितनी राशि पर संकट के बादल छाए हैं। किंतु विश्लेषक फर्म एलिप्टिक के मुताबिक एक्सचेंज से 47.7 करोड़ डॉलर का बहुत बड़ा अमाउंट गायब हो चुका है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं हो रही है कि FTX अकाउंट (what is ftx crisis) की हैकिंग तो नहीं हुई थी। इसके अलावा किसी जानकार शख्स के द्वारा ही इसमें गड़बड़ी होने की शंका भी जतलाई गई है। सिर्फ 2 हफ्ते पहले तक FTX दुनिया का दिग्गजों क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज था।
हो रही है जांच
FTX पर ग्राहकों का करीब एक बिलियन का फंड की हेराफेरी करने के आरोप लगे हैं। इस गड़बड़ी को लेकर अमेरिकन एजेंसियां यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और एक्सचेंज कमीशन जांच कर रहे हैं। रॉयल बहामास पुलिस फाॅर्स ने कहा कि हम FTX की जांच कर रहे हैं, जिसके कारण अब कंपनी की मुश्किलें और बढ़ भी गई हैं।
शनिवार को ही FTX के नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जॉन रे तृतीय ने कहा कि FTX अपने ग्राहकों को मंच पर क्रिप्टोकरेंसी के बिजनेस और फंड विड्रोल की फैसिलिटी को बंद कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि ग्राहकों की परिसंपत्तियों को सिक्योर रखने के लिए यह कदम लिए जा रहे हैं।
साथ ही कंपनी के वकील राएन मिलर ने कहा कि FTX क्रिप्टो एक्सचेंज कानूनी एजेंसियों एवं नियामक संस्थाओं से सहयोग करने के बावजूद इसके परिसंपत्ति आकार में भारी गिरावट हुई और संस्थापक एवं सीईओ सैम बैंकमैन-फ्राइड ने अपना रिजाइन दे दिया। साथ ही एक्सचेंज ने दिवाला प्रक्रिया से बचने की अर्जी भी लगाईं है और परिसंपत्तियों का मूल्य 10 अरब डॉलर से लेकर 50 अरब डॉलर तक लगाया गया है।
भारतीय मूल के निषाद सिंह (Nishad Singh) जांच के घेरे में
वहीं एफटीएक्स (FTX Crash) से फंड गायब होने के मामले में भारतीय मूल के निषाद सिंह (Who Is Nishad Singh) की भूमिका जांच के घेरे में है। उनके बारे में रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि वे एफटीएक्स एक्सचेंज के सीईओ सैम बैंकमैन-फ्रायड को क्रिप्टो मामलों में फैसले लेने में मदद करते थे।
किस प्रकार हुआ खुलासा?
रिपोर्ट के अनुसार, FTX से फंड गायब होने का पता पिछले रविवार को बैंकमेन-फ्राइड के दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ शेयर किए गए रिकॉर्ड्स से चला है। दावे के मुताबिक इन रिकॉर्ड्स से वर्तमान तक की स्थिति का पता चल गया है। रिपोर्ट की जानकारी FTX में वरिष्ठ पदों पर काम करने वाले लोगों ने दी है, जो इस हफ्ते तक इस एक्सचेंज में काम कर रहे थे। उन्होंने बताया है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति पर उन्हें यह जानकारी शीर्ष अधिकारियों ने दी है।
FTX में बिटकॉइन कितना सुरक्षित
जानकारों का कहना है कि अगर आपके पास FTX एक्सचेंज में बिटकॉइन या फिर कोई अन्य क्रिप्टोकरेंसी है, तो फिर उसे FTX जैसे एक्सचेंजों से दूर रखना ही फायदेमंद साबित होगा। निवेशकों को चाहिए कि आपकी अपनी क्रिप्टोकरंसी को किसी प्रतिष्ठित और सुरक्षित एक्सचेंज के पास ही रखना चाहिए।
FTX के दिवालिया होने का असर
FTX के दिवालिया होने से बिटकॉइन समेत दूसरी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में गिरावट देखने को मिली हैं। इसी के साथ FTX के द्वारा की गई स्पोर्ट्स डील पर इसका असर हुआ है। शुक्रवार को मर्सिडीज ने भी कहा था कि वे अपनी फार्मूला वन कार से FTX का लोगो भी हटा रहे हैं।
भारत में क्या हुआ असर
सेबी (Government and Securities and Exchange Board of India) के साथ केंद्रीय बैंक के सतर्क रुख की वजह से भारत में क्रिप्टो का बड़ा बाजार खड़ा नहीं हुआ है। अगर भारतीय संस्थाएं भी क्रिप्टो में शामिल होतीं, तो देश में कई लोगों के पैसे डूबते। एएनएमआई (Association of National Exchange Members of India) के अध्यक्ष कमलेश शाह के अनुसार, सरकार और आरबीआई द्वारा क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देने के लिए उठाए गए यह कदम इस समय सही साबित हुए हैं। आरबीआई के के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी जून में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में डिजिटल गोल्ड डिजाइन क्रिप्टोकरेंसी को ‘स्पष्ट खतरा’ कहा था।