आज यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा है, युद्ध भले ही 2022 में हो रहा हो पर इसकी पृष्ठभूमि काफी पहले लिखी जा चुकी थी| इसको समझने के लिए हमें इसके इतिहास के बारे में जानना होगा, इस कहानी के तो महत्वपूर्ण किरदार सोवियत संघ (USSR) और नाटो (NATO) है।
नाटो (NATO) क्या है?
नाटो (The North Atlantic Treaty Organization), इसे उत्तर अटलांटिक एलायंस (North Atlantic Alliance) भी कहा जाता है। यह एक अंतर-सरकारी सैन्य संगठन (intergovernmental military alliance) है। वर्तमान में इसके कुल 30 सदस्य देश हैं और इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में है। नाटो के अनुच्छेद 5 के मुताबिक इस संगठन में शामिल सभी देश सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करते हैं, यानी नाटो संगठन के किसी भी सदस्य देश के ऊपर हमला होने का मतलब इसमें शामिल सभी सदस्य देशों के ऊपर भी हमला माना जाता है।
दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात सोवियत संघ (USSR) और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) जैसे देश महाशक्ति बनकर उभरे, यूरोप में खतरे को देखते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड और लक्सेमबर्ग ने एक ब्रूसेल्स की संधि (Treaty of Brussels) की, इस संधि में यह तय हुआ कि यदि इन देशों में से किसी भी देश पर हमला होता है तो संधि में शामिल सभी देश एक-दूसरे को सामूहिक सैनिक सहायता व आर्थिक सहयोग देंगे।
1948 में सोवियत संघ ने जब बर्लिन की नाकेबंदी की तो पश्चिमी यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा का डर सताने लगा।
अंततः अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि का प्रस्ताव पेश किया जिस पर 4 अप्रैल 1949 को फ्रांस, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 12 देशों ने दस्तख़त किए| सोवियत संघ के विघटन के बाद पोलैण्ड, हंगरी, और चेक गणराज्य जैसे देश भी इसमें शामिल हो गए, वर्तमान में इसके सदस्य देशों की कुल संख्या 30 है।
सोवियत संघ (USSR) क्या है?
प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र (allies) और धुरी राष्ट्र (central) दो खेमों में बंट गए थे| अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) मित्र राष्ट्र के खेमे से लड़ रहे थे, तब रूस के शासक जार निकोलस द्वितीय (Czar Nicholas II) हुआ करते थे, युद्ध में मित्र राष्ट्र ताकतवर दिख रहे थे और सोवियत संघ भी अपने हिस्से कि लड़ाई मजबूती से लड़ रहा था, पर उसी समय 1917 में सोवियत संघ में आंतरिक गृह युद्ध छिड़ जाता है और संघ को प्रथम विश्व युद्ध से अपने हाथ पीछे खींचने पड़े, तब रूस की राजनीति में लेनिन का आगमन होता है।
गृह युद्ध में सत्ता परिवर्तन हुआ, जार निकोलस द्वितीय से सत्ता लेनिन (Lenin) के हाथों में चली गई| इस प्रकार 1922 में सोवियत संघ (USSR) की स्थापना होती है।
1922 में सोवियत संघ चार रिपब्लिक से मिलकर बना था जिसमें रशियन, यूक्रेनियन, बेलारुसियन और ट्रांसकेशिया (Transcaucasia) चार रिपब्लिक हुआ करते थे| आगे चलकर यह 15 रिपब्लिक का यूनियन बन गया, स्टालिन (Stalin) इसे एक सर्वाधिकार राज्य (totalitarian state) में बदल देते हैं अर्थात शामिल गणराज्यों में सर्वाधिक अधिकार केन्द्रीय शक्ति को दे दी गयी| इस प्रकार सोवियत संघ का जन्म हुआ ये उस वक्त विश्व की सबसे प्रबल शक्ति के रूप में जाना जाता था।
सोवियत संघ (USSR) के विघटन के कारण?
- द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War) के बाद सोवियत संघ एक बड़ी महाशक्ति के रूप में उभरा और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के साथ इसका शीत-युद्ध प्रारंभ (cold war) हो गया, अमेरिका हमेशा सोवियत संघ को कमजोर करने के प्रयास करते रहा, अमेरिका और यूरोपिय देशों की चकाचोंध सोवियत संघ देशों को अलग होने के लिए प्रेरित करती रही।
- सोवियत संघ में एकल पार्टी व्यवस्था (single party system) थी, जनता के पास कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था इससे भी जनता ऊब गई।
- सोवियत संघ में रूस को ज्यादा महत्व दिया जाने लगा; रूस के रीति-रिवाजों, भाषा आदि को अन्य रिपब्लिक पर थोपने का प्रयास किया जाता था जिस कारण रिपब्लिक का मोह सोवियत संघ से भंग होने लगा, इनमे राष्ट्रीयता की भावना आ गई और वे सोवियत संघ से बाहर निकलने का प्रयास करने लगे।
- संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ अंतरिक्ष और रक्षा (Space & Defence) के क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के कारण सोवियत संघ इन दो क्षेत्रों में जरूरत से अधिक खर्च करने लगा जिस कारण महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याएं भी बढ़ने लगी, इससे जनता मे असंतोष फैल गया।
- सोवियत संघ के निकटवर्ती देश काफी विकास कर चुके थे और सोवियत संघ विकास में काफी पीछे रह गया, जिस कारण संघ में सम्मिलित रिपब्लिक को सोवियत संघ से निकलना ही बेहतर विकल्प लगा।
- मिखाईल गोर्बाचोव (Mikhail Gorbachev) का कमजोर नेतृत्व सोवियत संघ के विघटन का प्रमुख कारण रहा, इन्होंने जनता को ज्यादा राजनीतिक शक्तियां और स्वतंत्रता दी जिस कारण लोग स्वतंत्र देश बनाने को लेकर और अधिक मुखर हो गए।
- इन सभी कारणों के साथ-साथ अफगानिस्तान में सोवियत सेना की वापसी भी उसके बिखराव का प्रमुख कारण रही।
इस प्रकार 1991 में एक सोवियत संघ टूटकर 15 देश बने इसमें यूक्रेन, उज़्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, बेलारूस, जॉर्जिया, लातविया, इस्टोनिया, उक्रेन जैसे प्रमुख देश है।
क्या है रूस उक्रेन के मध्य युद्ध की वजह?
- रूस और यूक्रेन के बीच तनाव 2013 में आरंभ हुआ, जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovych) पर रूस पर समर्थित होने का आरोप लगे तो उनके खिलाफ अपने देश यूक्रेन में काफी प्रदर्शन होने लगे, विरोध के कारण यानुकोविच 2014 में यूक्रेन छोड़कर रूस चले गए।
- 2014 में रूस ने यूक्रेन के भाग क्रीमिया (Crimea) पर कब्जा कर लिया ये कब्जा भी रूस-यूक्रेन विवाद का कारण रहा।
- भोगोलिक रूप से देखे तो रूस और पश्चिमी देशों के मध्य में यूक्रेन स्थित है, यूरोपियन यूनियन (European Union) और अमेरिका, यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनाना चाहते हैं जबकि रूस इसे खतरे के रूप में देखता है क्यूंकि रूस और यूक्रेन बहुत लंबी सीमा साझा करते है, अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बनता है तो रूस की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है, इससे नाटो की सेना रूस सीमा तक आ सकती है जो रूस के लिए बड़ा सिरदर्द हो सकता है| इसीलिए रूस हमेशा से न सिर्फ यूक्रेन, बल्कि सोवियत संघ में शामिल सभी देशों की नाटो सदस्यता का विरोध करता आया है।
- रूस हमेशा से यूक्रेन को नाटो में शामिल ना होने के लिए दबाव बनाता आया है पर यूक्रेन इसे अपनी संप्रभुता (sovereignty) के खिलाफ मानता है, उसका कहना है कि वह स्वतंत्र देश होने के कारण किसी भी संगठन से जुड़ सकता है।
- प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम कि प्रचुरता के कारण पश्चिमी देश और रूस दोनों ही यूक्रेन पर अपना प्रभुत्व (Dominance) चाहते हैं।
- 1991 में सोवियत संघ के विघटन से यूक्रेन अलग हो गया लेकिन यूक्रेन सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक रूप से रूस से काफी गहरे रूप से जुड़ा हुआ था| यूक्रेन की काफी बड़ी आबादी रूसी भाषा (Russian language) बोलती है, विशेषकर डोनबास प्रांत (donetsk and luhansk) जिसे रूस ने हाल ही में दो नए देशों के रूप में घोषित किया।
- रूस पाइप्लाइन के जरिए गैस को यूरोप तक भेजता था, ये पाइप्लाइन यूक्रेन से होकर जाती थी और इस पाइप्लाइन के प्रयोग के बदले रूस, युक्रेन को एक बड़ी राशि ट्रांजिट शुल्क के रूप में देता था। रूस हर वर्ष लगभग 33 बिलियन डॉलर का भुगतान युक्रेन को कर रहा था। ये राशि युक्रेन के कुल बजट की 4 फीसदी थी| रूस को इस कारण बहुत महंगे नॉर्ड स्ट्रीम-2 (Nord Stream II) गैस पाइप लाइन की शुरुआत करनी पड़ी। इसके जरिए रूस ने समुद्र में पाइपलाइन डालकर यूरोप को गैस पहुंचाई। रूस को लगता है अगर युक्रेन को विजित कर लिया जाए तो आसानी से कम लागत पर गैस को यूरोप तक पहुचाया जा सकेगा।
- यूक्रेन पर हमला कही ना कही रूस और अमेरिका के वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम भी है जिसमे दोनों ही देश अपने रुख पर अड़े रहे और हटधर्मिता छोड़ने को राजी नहीं हो पाए।
Very informative sir👍🙏
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